Popular Posts

Thursday 4 August 2011

अनूठा रिश्ता

बात कब की है कुछ टीक टीक याद नहीं , बचपन से वो ये ही सोचती वह सुनती आई थी के एक लड़का और लड़की कभी दोस्त नहीं बन सकते है , अगर उन के बीच दोस्ती हुई तो वो प्रेम सम्बन्ध में जरुर बदलेगी , वह एक माध्यम वर्गीय परिवार की लड़की है घर पे उस वक़्त कंप्यूटर तो था नहीं न ही इतनी जानकारी थी पर थोडा  बहुत  स्कूल में कंप्यूटर भी किया था फिर एक इंस्टिट्यूट से ६ months  का course किया और interview पास कर के उसकी नौकरी लगी जहा उसे अपनी एक साथी के साथ combine कंप्यूटर मिला , हम्म तो फ्री टाइम पे उसने कंप्यूटर पे खोज बीन सुरु की और ऐसी sites के बारे में पता लगा जिस पे दोस्त बनाये जाते थे.... अपना अकाउंट उसमे बनाया , मीडियम फॅमिली से belong करती थी तो वो दोस्त बनाने से पहले bahut  परखा करती थी उसे  , (बोहत गुस्सा आता था जिस से भी एक दिन बात कर लो बस वो या तो कोन्टक्ट नंबर मांगता है या फिर फोटो की मांग करता ), अचानक एक  दिन एक लड़के की फ्रेंड request आई, उसने उसे ओके किया, दोनों में बात होने लगी , पता चला के वो लड़का married है उसकी एक बेटी है , जानकर bohot  खुश हुई के किसी ने तो सच कहा, दूसरी तरफ मन में बोहत फील हुआ के उसने अपने बारे में सब सच बता दिया और एक मै हु जो अपने बारे में सारी गलत information दी है, हिम्मत जुटा के अपने दोस्त को अपनी बारे में सब सच बताया 

वो खुश हुआ कहने लगा चलो आपने दोस्ती लायक समझा , पर लड़की अब भी darti थी के कही ये मेरा गलत फ़ायदा ना उठाये...बोहत समय लगा उस पे विश्वास करने में , धीरे धीरे वक़्त का पहिया आगे बढ़ा दोनों की दोस्ती खूब gehrai , इस बीच उनकी patni से भी बात करने का मौका मिला , अपनी सारी बात्तें अपने दोस्त से बाट ली  (सुख हो या दुःख ) पर आज तक समझ नहीं पाई है की इस " अनूठे रिश्ते " को क्या नाम दे , क्युकी समाज के अनुसार लड़का - लड़की सिर्फ दोस्ती तक सीमित नहीं रहते , मै इश्वर से प्राथना करती हु के सभी को एक ऐसा मित्र जरुर मिले जो सिर्फ "दोस्ती" को श्रेष्ठ माने , समाज की बेकार विचारो को नहीं ....

गीता 

10 comments:

  1. मैंने भी इन्टरनेट पे कई ऐसे सच्चे और अच्छे रिश्ते बनाए हैं...शुरू में मैं भी झिझकता था नेट के जरिए दोस्ती करने में..

    ReplyDelete
  2. nice post
    मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं,आपकी कलम निरंतर सार्थक सृजन में लगी रहे .
    एस .एन. शुक्ल

    ReplyDelete
  3. ye to bas kehne ki baat hai ki ek ladka aur ladki dost nahi reh sakte...isko gambheerta se lena bachpanaa hai..baat saaf hai :)

    http://teri-galatfahmi.blogspot.com/

    ReplyDelete
  4. जीवन इतना सहज नहीं जितना दिखलाई देता है
    कौतुक क्या सुर एक नया हर पल में सुनाई देता है
    तेरे मेरे सोचों के भी उस पार बसी एक दुनिया है
    पर मन की सीमित दृष्टि से कुछ कहाँ सुझाई देता है

    ReplyDelete
  5. Soch ko badalne aasaan nahi hota........yah sach hai adhiktar cases me ladke aur ladki ki dosti galat hi hoti hai...aur uske dusprainaam aksar dekhne ko milte hain........aur shayad isi karan se samaaj bhi ek ladke aur ek ladki ki dosti ko sahaj bhav se nahi leta aur sweekaar nahi karta.....sweekar tabhi karna chahta hai.....jab ve kahe ki yaa to vo ek doosre ke bhai bahan hai ....yaa fir premi premika.......sahaj dosti ke liye samaaj me kadachit kam hi sthaan hai......

    mere man me bhi yahi bhav rahte the ki lade aur ladki ki dosti......sirf sharirik aakarshan matra hai......parantu jab mujhe ek aisi dost mili.....to meri soch ke raste badal gaye.....meri vichardhaana kya se kya ho gai.....

    sach to ye hai....ki kuch cheese aap anubhav ke bina nahi seekh sakte.....isliye is sambandh ko samajhne ke liye aise sambandho ka hona jaruri hai....parantu sabhi log khushnaseeb nahi hote jinhe aisi shandaar dosti haasil ho.....

    ReplyDelete
  6. भारतीय स्वाधीनता दिवस की शुभकामनाएं .

    ReplyDelete
  7. सभी को एक ऐसा मित्र जरुर मिले जो सिर्फ "दोस्ती" को श्रेष्ठ माने , समाज की बेकार विचारो को नहीं ....

    Sach kaha....

    ReplyDelete
  8. sab friends ko thanks or independence day ki subhkamnaye

    ReplyDelete
  9. जो रिश्ते अनूठे होते हैं, उनको नाम न देकर अनूठा ही रहने दिया जाए तो बेहतर है, ... उसकी पहचान अनूठी ही होती है

    ReplyDelete
  10. नमस्कार....
    बहुत ही सुन्दर लेख है आपकी बधाई स्वीकार करें

    मैं आपके ब्लाग का फालोवर हूँ क्या आपको नहीं लगता की आपको भी मेरे ब्लाग में आकर अपनी सदस्यता का समावेश करना चाहिए मुझे बहुत प्रसन्नता होगी जब आप मेरे ब्लाग पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएँगे तो आपकी आगमन की आशा में........

    आपका ब्लागर मित्र
    नीलकमल वैष्णव "अनिश"

    इस लिंक के द्वारा आप मेरे ब्लाग तक पहुँच सकते हैं धन्यवाद्
    वहा से मेरे अन्य ब्लाग लिखा है वह क्लिक करके दुसरे ब्लागों पर भी जा सकते है धन्यवाद्

    MITRA-MADHUR: ज्ञान की कुंजी ......

    ReplyDelete