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Wednesday 16 November 2011

विचलित मन


लास्ट वीक मुदित को बोहत तेज बुखार हो गया था,उसी को सोच के ये विचार अपने आप मन में आये और कविता बन गई , आप सभी से शेयर कर रही हु, वैसे अब उसकी तबियत ठीक है 



सो ना पाई सारी रात मै,
तेरी तकलीफ देखकर ,
बह आये आखो से आंसू मेरे ,
तेरी तकलीफ देखकर 

सीने से लगा के तुम को ,
इश्वर का ही नाम लिया,
और देखकर , इक माँ की तकलीफ ,
इश्वर ने अपना काम किया .

पूछती थी इश्वर से ,
क्यूँ परेशान किया है मेरे मुदित को ,
अभी तो है इतना छोटा ,
के बयान भी ना कर पता है अपनी तकलीफ अपनी माँ को .

शुक्र है इश्वर का की ,
अब बिलकुल ठीक है मेरा लाडला ,
दिखाता है अपने करतब अब ,
फिर से रिझाता है सबको मेरा लाडला 

कैसा ये प्यार है

 वो जताते है प्यार ,
दुनिया को भूल कर ,
रस्मो को भूल कर,
प्यार ही प्यार हवा में है ,
वादों को भूल कर ,
रिवाजो को भूल कर 






जो भी कहना हो बिंदास कहो 
ये ही आज का फंडा है 
यंग Generation मांगती है आजादी 
क्युकी हर कोई उस खुदा का बंद है 




बिंदास बोलने वालो की बात मत करो ग़ालिब 
बिंदास बोलने वालो की बात मत करो ग़ालिब 
लव , सेक्स और धोके की ट्रिप अपनाते है 
क्युकी हर साल ही वो कोई नयी चिड़िया फसाते है 




अब तो प्यार करने वाले फेसबुक पे status बनाते है 
वाकया कुछ भी हो , दोस्तों को शेयर जरुर कराते है 


ये गुजारिश है उनसे की प्यार को खेल ना समझो 
ये गुजारिश है उनसे की प्यार को खेल ना समझो 
जब जवानी चली जाएगी , तो प्यार की कीमत खुद ही समझ आ जाएगी ....



Monday 31 October 2011

save girls

यु ही अगर लडकियों को जनम लेने से रोकते रहे तो ये फासला बढ़ता चला जायेगा , लडकियों का जीवन बचाओ ............

Wednesday 19 October 2011

परम्पराए

कल यानि १९ अक्टूबर को मेरा व्रत था, मेरा विवाह हरयाणा में हुआ है , यहाँ करवाचौथ के चार दिन बाद एक व्रत आता है , जिसे होई का व्रत कहते है , ये मेरा बेबी के पैदा होने के बाद पहला व्रत था तो मई बोहत जादा एक्ससितेद थी , मई ऑफिस भी नहीं गई थी सोचा अपने मुदित के साथ सारा दिन स्पेंड करुँगी 

ऐसे ही बातो बातो में मम्मी जी से इस व्रत के बारे में मैंने पूछा तो मुझे ये पता चला के ये व्रत सिर्फ लडको के लिए रखा जाता है , सुन कर बोहत बुरा लगा , ये तो सरासर नाइंसाफी हुई ना , हउम होई माता से ये प्रार्थना करते है की हमारी कोख मतलब बचे हमेशा टीक रहे उनकी उम्र बढे , फिर ये व्रत सिर्फ लडको के लिए ही क्यूँ तो मम्मी ने कहा की लडको से वंश चलता है इसलिए ....

मम्मी से मैंने इस बारे में बोहत बहस की , पर परिणाम कुछ नहीं निकला , लास्ट में मम्मी ने कहा की जैसे रीत चली आ रही है वैसे ही तो हम करेंगे 
पर मैंने तो फैसला कर लिया है , आगे जा के जब भी घर की जिम्मेवारी मेरे पे आ जाएगी (और भगवन  ने हम पे खुश हो के हमे एक बिटिया दी तो ) मै ये होई माता का व्रत अपनी बिटिया के लिए भी जरुर रखूंगी. 

Tuesday 18 October 2011

love and lost

महक फूलो की कभी भी कम ना होगी                          
खुशबू आती रहेगी तेरे जाने के बाद भी
और आखो से आंसुओ की बारिश भी कम ना होगी 

उनकी वफ़ा को समझा था हमने किस्मत अपनी 
और अब उनकी बेवफाई से हमको उल्फत भी ना होगी 

भीड़ में थामा था तुमने हाथ जब मेरा 
उस वक़्त की शायद आज तुमको कीमत ना होगी 

तुम खुश रहना , मै ना आऊंगा लौट के तुम्हारी जिंदगी में दोबारा
लगा लूँगा मौत को गले, और देखो, किसी को शिकायत भी ना होगी !


Wednesday 28 September 2011

बुलावा



खुशियों से भरा है ये संसार 
जरा आके देखो तो इक बार .
आई होली , आई दिवाली ,
झूम के गया सावन फिर इक बार ,
बच्चे नाच रहे है 
अपने दिल में भर भर उल्लास .

  भांति भांति के रंग है ,भांति भांति के रूप 
 कोई बुलाये उसे कान्हा , तो कोई कहे वो है रामस्वरुप .

उल्लासित हो उठता है मन ,
देख के त्योहारों का दर्पण .


अब तो आ जाओ , छोड़ के अपना कारोबार ,
देखो राम जी ने भी कर लिया खतम अपना वनवास ,
खुशियों से भरा है संसार,
जरा आके देखो तो इक बार.


Monday 12 September 2011

दो पग जिंदगी

                                                हम बड़े क्यूँ हो जाते है (बचपन कितना अच्छा था )
बस दो पग जिंदगी चाहती हू मै
निस्वार्थ , निश्छल राह चाहती हू मै,
पाप भरी इस दुनिया में , अब और नहीं रहना चाहती हू मै
बस दो पग जिंदगी चाहती हू मै !

बचपन को जीना चाहती हू मै
प्रकृति की गोद में , फिर से झूला झूलना चाहती हू मै,
लुका-छुपी के वो खेल , रसगुल्लों की वो चोरी ,
वो भाई के साथ मीठी सी नोक-झोक 
वो पापा मम्मी के साथ घंटो हाथ पकड़ के बैठ जाना चाहती हू मै,
बस दो पग जिंदगी चाहती हू मै!

Monday 5 September 2011

"चंचल मन "


मन चंचल उढ रहा था पंख लगाकर 
तभी उसकी नज़र पड़ी एक कोमल फूल पर ,
दोनों की आखें हुई चार ,
दोनों ने रख्खे अपने अपने विचार ,
कसमे खाई , वादे किये ,
के तोह बिन मै नहीं , मोह बिन तुम नहीं.

फिर समय का चक्र घुमा ,
फासले बढे, फैसले लिए,
राह है , हम दोनों  की अलग ,
dhund लो अपने लिए कोई और हमसफ़र .

मन रोता रहा , फूल को जाता देख कर  ,..

Wednesday 31 August 2011

इश्वर

मेरी सोच में आज मै आपके सामने इश्वर की भक्ति के बारे में अपने विचार रख रही हु और आप सभी से चाहती हु के आप भी अपने विचार बताये.

बचपन से ही हमे ये बताया जाता है के भगवन जी से जो भी मांगो भगवन जी वो दे देते है, और सच में हम भगवन जी से जो भी मांगते वो मिलता था , उस समय हम भगवन जी से नए कपडे अछा खाना ऐसी ही चीज़े मांगते थे , और हमारे माता पिता हमारी मांग पूरी करते थे , तब भगवान् जी मेरे बेस्ट फ्रेंड हुआ करते थे...

थोड़े बड़े हुए तो मांगे बढ़ने लगी , सारी फीलिंग्स माँ पापा को नहीं बता पाते तोह फिर से भगवान् जी का दरवाजा खटखटाते , हम्म तब की मांग थी , पढाई में अच्छे नंबर लाना , वो मांग भी काफी हद तक भगवान् जी ने पूरी की , तोह उनके प्रति विश्वास और बढ़ गया.

अब आया जवानी का दौर , और इस उम्र में प्यार होना लाजमी था, सायद आप सभी को भी होगा , और अपनी नैया पार लगवाने के लिए भगवान् जी को फिर से परेशान करना शुरू कर दिया,बेहद मुश्किलों के बावजूद इस बार भी भगवान् जी ने मेरी प्राथना सुन ही ली ..

अब विचार करने की बात ये है की क्या मै और मेरे जैसे कई लोग स्वार्थी हुए , हमने भगवान् जी को अपना मित्र   
अपनी मांगे पूरी करने के लिए बनाया है, कोई भी परेशानी जीवन में आई तो सुरु हो गए अपने भगवान् जी को परेशान करने में, मैंने बचपन में ये भी सुना था हम जो भी अच्छे या बुरे करम करते है उसका लेका झोखा ऊपर वाले के पास होता है, हम पूरी दुनिया से झूठ बोल सकते है पर अपने अन्दर के इश्वर से नहीं , मै तो इस बात से 
पूरी तरह से सहमत हु ...

पता नहीं सचाई क्या है पर मेरी इश्वर में पूरी  ashtha है , और ये मरते दम तक बरक़रार रहेगी , चाहे राहो में कितनी भी मुश्किलें आये.

                                            मेरे फवौरिते भगवान् जी 

" भगवान् जो भी करता है , अच्छे के लिए ही करता है"

Friday 19 August 2011

आप भी मिलिए मेरे जिगर के तुकडे से

मै अपने आप में अपने को कितना पूर्ण महसूस कर रही हु मै बता नहीं सकती आप को, इश्वर करे हर नारी को माँ बनने का सोभाग्य प्राप्त हो , मै हमेशा से एक बेटी की ही कामना करती थी , मुझे girls के कपडे बेहद पसंद है खासकर के छोटी बचियो के, आप भी सोचेंगे भला ये तो कोई कारन ना हुआ लड़की की कामना करने का , हम्म थोडा नाराज हुई थी इश्वर से पर पहली बार जब अपने बेटे को गोद में लिया तो ऐसा लगा दुनिया की सारी खुसिया मेरे ही आँचल में है , कुछ तस्वीरे मेरे राजकुमार की ( वैसे प्यार से मै उसे कहती हु " मेली छोटी ची लज्कुमारी " और वो हंस देता है ...
ये तब का फोटो है जब मेरा मुदित १ महीने का हुआ था , बहुत सोता था सायद सब बच्चे ऐसे ही सोते है...
वन्दे मातरम का पोस देते हुए इसकी ये फोटो मुझे बहुत प्यारी लगती है
बचपन (तीसरे महीने) से ही वो बोलने की कोशिश करता था, पर खुदरत से कोण जीत पाया है, अभी तुम छोटे हो बच्चे
इस टाइम पे पता नहीं कैसे उसके सरे सर के आगे के बाल गायब हो गए थे , हम लोग बोहत घबरा गए, पर जब दोबारा बाल आये तब हमारी जान में जान आई .
ये जगह उसकी फवौरिते है , क्युकी यहाँ से खुला आसमान जो दिखता है
कितने तरह के expression देता है, कभी कभी बहुत हैरानी होती है
camera से नजर नहीं हटाता .hahaha
मुदित का बेस्ट फ्रेंड , इसको देख के बोहत खुश होता है

अभी के लिए इतना ही , उसकी और pictures दुसरे पोस्ट में पेस्ट karungi
आप बताएगा मेरा मुदित कैसा लगा आपको 

Thursday 4 August 2011

अनूठा रिश्ता

बात कब की है कुछ टीक टीक याद नहीं , बचपन से वो ये ही सोचती वह सुनती आई थी के एक लड़का और लड़की कभी दोस्त नहीं बन सकते है , अगर उन के बीच दोस्ती हुई तो वो प्रेम सम्बन्ध में जरुर बदलेगी , वह एक माध्यम वर्गीय परिवार की लड़की है घर पे उस वक़्त कंप्यूटर तो था नहीं न ही इतनी जानकारी थी पर थोडा  बहुत  स्कूल में कंप्यूटर भी किया था फिर एक इंस्टिट्यूट से ६ months  का course किया और interview पास कर के उसकी नौकरी लगी जहा उसे अपनी एक साथी के साथ combine कंप्यूटर मिला , हम्म तो फ्री टाइम पे उसने कंप्यूटर पे खोज बीन सुरु की और ऐसी sites के बारे में पता लगा जिस पे दोस्त बनाये जाते थे.... अपना अकाउंट उसमे बनाया , मीडियम फॅमिली से belong करती थी तो वो दोस्त बनाने से पहले bahut  परखा करती थी उसे  , (बोहत गुस्सा आता था जिस से भी एक दिन बात कर लो बस वो या तो कोन्टक्ट नंबर मांगता है या फिर फोटो की मांग करता ), अचानक एक  दिन एक लड़के की फ्रेंड request आई, उसने उसे ओके किया, दोनों में बात होने लगी , पता चला के वो लड़का married है उसकी एक बेटी है , जानकर bohot  खुश हुई के किसी ने तो सच कहा, दूसरी तरफ मन में बोहत फील हुआ के उसने अपने बारे में सब सच बता दिया और एक मै हु जो अपने बारे में सारी गलत information दी है, हिम्मत जुटा के अपने दोस्त को अपनी बारे में सब सच बताया 

वो खुश हुआ कहने लगा चलो आपने दोस्ती लायक समझा , पर लड़की अब भी darti थी के कही ये मेरा गलत फ़ायदा ना उठाये...बोहत समय लगा उस पे विश्वास करने में , धीरे धीरे वक़्त का पहिया आगे बढ़ा दोनों की दोस्ती खूब gehrai , इस बीच उनकी patni से भी बात करने का मौका मिला , अपनी सारी बात्तें अपने दोस्त से बाट ली  (सुख हो या दुःख ) पर आज तक समझ नहीं पाई है की इस " अनूठे रिश्ते " को क्या नाम दे , क्युकी समाज के अनुसार लड़का - लड़की सिर्फ दोस्ती तक सीमित नहीं रहते , मै इश्वर से प्राथना करती हु के सभी को एक ऐसा मित्र जरुर मिले जो सिर्फ "दोस्ती" को श्रेष्ठ माने , समाज की बेकार विचारो को नहीं ....

गीता 

Tuesday 26 July 2011

माँ


जब मै छोटी थी , नहीं नहीं बल्कि शादी होने से पहले तक, अगर मेरी माँ से किसी बात पे झगडा हो जाया करता तो  बाद में मन ही मन में बोलती थी, हम्म हमेशा कहती है माँ , (कितनी मुश्किलों से तुम्हे पाला मैंने) भला ये भी कोई बात है , इसमें क्या बड़ा काम किया है उन लोगो ने , हर कोई अपने बचो को पलता है ....

पर अब जब मै खुद माँ बन गई तो समझ में आया है , के माँ बन ने का असली मतलब क्या होता है ...
,सब लोग, मेरा मतलब है (पुरुष वर्ग) इस का असली अर्थ नहीं समझ पाएंगे ...जब से वो नन्ही सी जान हमारी कोख में आती है तब से लेकर तमाम जिन्दगी हम उसके सुख दुःख का अनुभव करते है ... उन ९ महीनो में जिन सारी दिक्हतो का सामना करना पड़ता है , जैसे की मन मचलना , घबराहट रहना , जैसे जैसे समय बढ़ता है चलने फिरने , सोने, जागने में दिकत होना , और जब बचे का जनम होता है उस प्रसव पीड़ा का दर्द , जो के असहनीय होता है (जिसे सब्दो में कह पाना मुश्किल है)
एक बात मै कहना चाहूंगी इन सभी मुश्किलों के बाद जब वो नन्ही सी जान की पहली झलक मिलती है तो दुनिया की सारी तकलीफे एक तरफ और उसका दीदार एक तरफ , फिर भी पलड़ा अपनी जान का ही जादा भरी होता है , उसे देख कर माँ अपने सारे दुःख दर्द भूल जाती है , और इश्वर का सुक्रिया अदा करती है के उसने हमे माँ बन ने का सुख प्रदान किया है ...तब से उस माँ की जिंदगी बदल जाती है वो किसी भी अपने सुख को परे रख के अपने बच्चे  के सुख के बारे  में सोचती है , उसके भविष्य की सारी प्लानिंग कर बैठती है , रात को खुद गिले में सोना मंजूर है पर बच्चे को सूखे में ही सुलाती है, पहले बच्चे का पेट भारती है उसके बाद ही खुद कुछ खाती है (ये महज सिर्फ किताबो में लिखी पंक्तिया नहीं है , पता नहीं माँ बन ने के बाद ये सारी भावनाए खुद बे खुद औरत के मन में आ जाती है, वो अपने बच्चे के सुख से हटकर कुछ सोचती ही नहीं )
आप सभी से मेरा निवेदन है आप चाहे कितने भी बड़े हो जाये , चाहे बोहत पैसा कमाने लग जाये , अपने पैरो पे खड़े हो जाये, पर ये कभी ना भूले की पहला कदम चलना आपको आपकी माँ ने ही सिखाया था, अपने पेरेंट्स को कभी हर्ट मत करियेगा , चाहे परिस्थिथिय कैसी भी रहे. 

Tuesday 28 June 2011

LADALI

बेटिया हमेशा से ही अपने पापा की लाडली रहती है . इसका कारन क्या है ये में नहीं जानती , मै भी अपने 
पापा से बोहत प्यार करती हू , माँ से भी मेरा लगाव है पर मुझे बचपन में कोई भी बात मनवानी होती थी तो मै 
सीधा अपने पापा से ही कहती थी , वो कभी मुझ पे गुस्सा भी नहीं होते थे , मेरी सारी इछाये मेरे पापा ने हमेशा पूरी की है , मम्मी जब भी मुझे कोई घर का काम सिखाना चाहती तो मुझे समझ नहीं आता था वही अगर मेरे पापा 
कोई काम मुझे सिखाते तो मै जल्दी ही सीख जाती , मेरे पापा फोज में थे तो वो हर काम में निपुण थे , क्युकी वहा 
अपना काम उन्हें स्वयं ही करना पड़ता था उन्होंने हमेशा ये ही शिक्षा हमे दी , मेरे २ भाई भी ह दोनों ही मुझसे बड़े है , वो हमेशा मुझसे जलते थे बचपन में की पापा सारी बात गुडिया (मेरा नाम ) की ही क्यूँ मानते है .

शादी हो जाने के बाद वो दिन बोहोत याद आया करते है , हमेशा पंख लगाकर उड़ने वाली पापा की लाडली बिटिया , आज ससुराल की बेडियो में बांध के रह गई है , उसकी वो स्वतंत्र जिंदगी मनो किसी ने छीन ली हो, न जाने क्यूँ ये दुनिया ने रीत बनाई है के विवाह के पश्चात लडकियों का अस्तित्व ही समाप्त हो जाता है 

ससुराल में मायके जैसा प्यार पाने की कल्पना रखती थी मै, अब अपने पे हंसी आती है , 

कुछ सवाल है मन में :

क्यूँ सास ससुर अपने बहु और बेटे में फरक करते है
क्यूँ ससुराल को हम ससुराल कहते है , अपना घर क्यूँ नहीं कहते
क्यूँ सारी अपेक्षाए बहु से ही की जाती है , के वो ऑफिस भी जाये और घर का काम भी करे
क्यूँ आजकल की लडकिया शादी के बाद सयुक्त परिवार में रहने से कतराती है 

है कोई जवाब 

Monday 20 June 2011

UP bana "Balatkari Pradesh"

बलात्कार जैसी खबर सुनते ही रोंगटे खड़े हो जाते है . बलात्कारी सिर्फ सरीर को ही नहीं गन्दा करते बल्कि किसी भी लड़की की आत्मा तक को रोंद देते है . उ.प . को बलात्कारी प्रदेश का दर्जा दिया गया है . पिछले ४८ घंटे में वहा बलात्कार की ५ घटनाये सामने आई है .

एक  लड़की , जिसके बलात्कार का विरोध करने पर , उन पापियों ने उसकी आँख़ें चाकुओ से रोंद दी, सायद वो अब एक आख से कभी न देख पाए .

एक औरत जिसका गंग रेप हुआ , उसके बाद उन अपराधियों  ने उसे जिन्दा जला दिया 

एक दलित लड़की का रेप हुआ बन्दूक की नोक पर 

एक १३ साल की लड़की को खेत में  मृत  पाई  गयी, उसका रेप करने के बाद अपराधियों  ने उसे मार दिया 

अलीगढ में अक ४५ वर्षीय औरत को २ पोलिसे वालो ने रेप का शिकार बनाया 

ऐसे ही कितने केस आते है और सुनवाई का इंतज़ार करते करते सालो साल बीत जाते है , बोहत से केस में अपराधी को कुछ दिनों की सजा मिलती है और जेल से रिहा होने के बाद वो फिर से अपने नए शिकार के लिए निकल पढता है ,

समय है हमारे देश की कानून निति में बदलाव लाने की , उन सभी अपराधियों को कड़ी से कड़ी  सजा देने की , जिसे देख कर कोई दूसरा व्यक्ति सबक ले सके ...

आप लोगो के सुझाव में अपराधी को क्या सजा मिलनी चाहिये ..

science or andhvishvaas

आज science ने इतन्नी तरक्की कर ली है , फिर भी आज हमारी सोच में कोई खास बदलाव नहीं आया है, बात सिर्फ villages में रहने वाले लोगो की नहीं शेहरो में भी  अन्धविश्वासो ने अपनी पकड़ मजबूत की हुई है .
सायद इसका अक कारन अपनी दादी नानी से सुने हुए वो किस्से है जो बचपन  में हम सभी ने सुने है, हमारा दिल अभी तक उन बात्तो को सच माने बैठा है. 

जैसे बिल्ली क रास्ता काटने का मतलब है कोई परेशानी आना , शुभ काम से पहले अगर कोई छीख दे तो अपसगुन होना , ऐसे ही कई अन्धविश्वास है ....

आप लोग इस से कहा तक सहमत है ? 

Friday 17 June 2011