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Wednesday 31 August 2011

इश्वर

मेरी सोच में आज मै आपके सामने इश्वर की भक्ति के बारे में अपने विचार रख रही हु और आप सभी से चाहती हु के आप भी अपने विचार बताये.

बचपन से ही हमे ये बताया जाता है के भगवन जी से जो भी मांगो भगवन जी वो दे देते है, और सच में हम भगवन जी से जो भी मांगते वो मिलता था , उस समय हम भगवन जी से नए कपडे अछा खाना ऐसी ही चीज़े मांगते थे , और हमारे माता पिता हमारी मांग पूरी करते थे , तब भगवान् जी मेरे बेस्ट फ्रेंड हुआ करते थे...

थोड़े बड़े हुए तो मांगे बढ़ने लगी , सारी फीलिंग्स माँ पापा को नहीं बता पाते तोह फिर से भगवान् जी का दरवाजा खटखटाते , हम्म तब की मांग थी , पढाई में अच्छे नंबर लाना , वो मांग भी काफी हद तक भगवान् जी ने पूरी की , तोह उनके प्रति विश्वास और बढ़ गया.

अब आया जवानी का दौर , और इस उम्र में प्यार होना लाजमी था, सायद आप सभी को भी होगा , और अपनी नैया पार लगवाने के लिए भगवान् जी को फिर से परेशान करना शुरू कर दिया,बेहद मुश्किलों के बावजूद इस बार भी भगवान् जी ने मेरी प्राथना सुन ही ली ..

अब विचार करने की बात ये है की क्या मै और मेरे जैसे कई लोग स्वार्थी हुए , हमने भगवान् जी को अपना मित्र   
अपनी मांगे पूरी करने के लिए बनाया है, कोई भी परेशानी जीवन में आई तो सुरु हो गए अपने भगवान् जी को परेशान करने में, मैंने बचपन में ये भी सुना था हम जो भी अच्छे या बुरे करम करते है उसका लेका झोखा ऊपर वाले के पास होता है, हम पूरी दुनिया से झूठ बोल सकते है पर अपने अन्दर के इश्वर से नहीं , मै तो इस बात से 
पूरी तरह से सहमत हु ...

पता नहीं सचाई क्या है पर मेरी इश्वर में पूरी  ashtha है , और ये मरते दम तक बरक़रार रहेगी , चाहे राहो में कितनी भी मुश्किलें आये.

                                            मेरे फवौरिते भगवान् जी 

" भगवान् जो भी करता है , अच्छे के लिए ही करता है"

Friday 19 August 2011

आप भी मिलिए मेरे जिगर के तुकडे से

मै अपने आप में अपने को कितना पूर्ण महसूस कर रही हु मै बता नहीं सकती आप को, इश्वर करे हर नारी को माँ बनने का सोभाग्य प्राप्त हो , मै हमेशा से एक बेटी की ही कामना करती थी , मुझे girls के कपडे बेहद पसंद है खासकर के छोटी बचियो के, आप भी सोचेंगे भला ये तो कोई कारन ना हुआ लड़की की कामना करने का , हम्म थोडा नाराज हुई थी इश्वर से पर पहली बार जब अपने बेटे को गोद में लिया तो ऐसा लगा दुनिया की सारी खुसिया मेरे ही आँचल में है , कुछ तस्वीरे मेरे राजकुमार की ( वैसे प्यार से मै उसे कहती हु " मेली छोटी ची लज्कुमारी " और वो हंस देता है ...
ये तब का फोटो है जब मेरा मुदित १ महीने का हुआ था , बहुत सोता था सायद सब बच्चे ऐसे ही सोते है...
वन्दे मातरम का पोस देते हुए इसकी ये फोटो मुझे बहुत प्यारी लगती है
बचपन (तीसरे महीने) से ही वो बोलने की कोशिश करता था, पर खुदरत से कोण जीत पाया है, अभी तुम छोटे हो बच्चे
इस टाइम पे पता नहीं कैसे उसके सरे सर के आगे के बाल गायब हो गए थे , हम लोग बोहत घबरा गए, पर जब दोबारा बाल आये तब हमारी जान में जान आई .
ये जगह उसकी फवौरिते है , क्युकी यहाँ से खुला आसमान जो दिखता है
कितने तरह के expression देता है, कभी कभी बहुत हैरानी होती है
camera से नजर नहीं हटाता .hahaha
मुदित का बेस्ट फ्रेंड , इसको देख के बोहत खुश होता है

अभी के लिए इतना ही , उसकी और pictures दुसरे पोस्ट में पेस्ट karungi
आप बताएगा मेरा मुदित कैसा लगा आपको 

Thursday 4 August 2011

अनूठा रिश्ता

बात कब की है कुछ टीक टीक याद नहीं , बचपन से वो ये ही सोचती वह सुनती आई थी के एक लड़का और लड़की कभी दोस्त नहीं बन सकते है , अगर उन के बीच दोस्ती हुई तो वो प्रेम सम्बन्ध में जरुर बदलेगी , वह एक माध्यम वर्गीय परिवार की लड़की है घर पे उस वक़्त कंप्यूटर तो था नहीं न ही इतनी जानकारी थी पर थोडा  बहुत  स्कूल में कंप्यूटर भी किया था फिर एक इंस्टिट्यूट से ६ months  का course किया और interview पास कर के उसकी नौकरी लगी जहा उसे अपनी एक साथी के साथ combine कंप्यूटर मिला , हम्म तो फ्री टाइम पे उसने कंप्यूटर पे खोज बीन सुरु की और ऐसी sites के बारे में पता लगा जिस पे दोस्त बनाये जाते थे.... अपना अकाउंट उसमे बनाया , मीडियम फॅमिली से belong करती थी तो वो दोस्त बनाने से पहले bahut  परखा करती थी उसे  , (बोहत गुस्सा आता था जिस से भी एक दिन बात कर लो बस वो या तो कोन्टक्ट नंबर मांगता है या फिर फोटो की मांग करता ), अचानक एक  दिन एक लड़के की फ्रेंड request आई, उसने उसे ओके किया, दोनों में बात होने लगी , पता चला के वो लड़का married है उसकी एक बेटी है , जानकर bohot  खुश हुई के किसी ने तो सच कहा, दूसरी तरफ मन में बोहत फील हुआ के उसने अपने बारे में सब सच बता दिया और एक मै हु जो अपने बारे में सारी गलत information दी है, हिम्मत जुटा के अपने दोस्त को अपनी बारे में सब सच बताया 

वो खुश हुआ कहने लगा चलो आपने दोस्ती लायक समझा , पर लड़की अब भी darti थी के कही ये मेरा गलत फ़ायदा ना उठाये...बोहत समय लगा उस पे विश्वास करने में , धीरे धीरे वक़्त का पहिया आगे बढ़ा दोनों की दोस्ती खूब gehrai , इस बीच उनकी patni से भी बात करने का मौका मिला , अपनी सारी बात्तें अपने दोस्त से बाट ली  (सुख हो या दुःख ) पर आज तक समझ नहीं पाई है की इस " अनूठे रिश्ते " को क्या नाम दे , क्युकी समाज के अनुसार लड़का - लड़की सिर्फ दोस्ती तक सीमित नहीं रहते , मै इश्वर से प्राथना करती हु के सभी को एक ऐसा मित्र जरुर मिले जो सिर्फ "दोस्ती" को श्रेष्ठ माने , समाज की बेकार विचारो को नहीं ....

गीता