बेटिया हमेशा से ही अपने पापा की लाडली रहती है . इसका कारन क्या है ये में नहीं जानती , मै भी अपने
पापा से बोहत प्यार करती हू , माँ से भी मेरा लगाव है पर मुझे बचपन में कोई भी बात मनवानी होती थी तो मै
सीधा अपने पापा से ही कहती थी , वो कभी मुझ पे गुस्सा भी नहीं होते थे , मेरी सारी इछाये मेरे पापा ने हमेशा पूरी की है , मम्मी जब भी मुझे कोई घर का काम सिखाना चाहती तो मुझे समझ नहीं आता था वही अगर मेरे पापा
कोई काम मुझे सिखाते तो मै जल्दी ही सीख जाती , मेरे पापा फोज में थे तो वो हर काम में निपुण थे , क्युकी वहा
अपना काम उन्हें स्वयं ही करना पड़ता था उन्होंने हमेशा ये ही शिक्षा हमे दी , मेरे २ भाई भी ह दोनों ही मुझसे बड़े है , वो हमेशा मुझसे जलते थे बचपन में की पापा सारी बात गुडिया (मेरा नाम ) की ही क्यूँ मानते है .
शादी हो जाने के बाद वो दिन बोहोत याद आया करते है , हमेशा पंख लगाकर उड़ने वाली पापा की लाडली बिटिया , आज ससुराल की बेडियो में बांध के रह गई है , उसकी वो स्वतंत्र जिंदगी मनो किसी ने छीन ली हो, न जाने क्यूँ ये दुनिया ने रीत बनाई है के विवाह के पश्चात लडकियों का अस्तित्व ही समाप्त हो जाता है
ससुराल में मायके जैसा प्यार पाने की कल्पना रखती थी मै, अब अपने पे हंसी आती है ,
कुछ सवाल है मन में :
क्यूँ सास ससुर अपने बहु और बेटे में फरक करते है
क्यूँ ससुराल को हम ससुराल कहते है , अपना घर क्यूँ नहीं कहते
क्यूँ सारी अपेक्षाए बहु से ही की जाती है , के वो ऑफिस भी जाये और घर का काम भी करे
क्यूँ आजकल की लडकिया शादी के बाद सयुक्त परिवार में रहने से कतराती है
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